वानीरा गिरि
वानीरा गिरि प्रसिद्ध नेपाली साहित्यकार हुन्।
वानीरा गिरि | |
---|---|
![]() | |
जन्म | अप्रिल ०४, १९४६ खर्साङ, दार्जिलिङ्ग |
मृत्यु | मे २१, २०२१ वर्ष) काठमाडौं | (७५
वासस्थान | मीनभवन, काठमाडौं, काठमाडौं महानगरपालिका, नेपाल |
राष्ट्रियता | ![]() |
नागरिकता | नेपाली |
शिक्षा | एम.ए., एम.एड., विद्यावारिधि (नेपाली साहित्य) |
पेशा | शिक्षण, लेखन |
चिनारीको कारण | कविता, उपन्यास |
प्रशिद्ध कार्य | कारागार, विर्बन्ध, जीवन थामहरु, एउटा जिउँदो जङ्गबहादुर, मेरो आविष्कार |
गृहनगर | काठमाडौं |
जिवनसाथी | शङ्कर गिरी |
सन्तान | अपूर्ण गिरी, अपराजिता गिरी |
मातापिता | इन्द्रराज गिरी, जानकीदेवी |
पुरस्कार | रत्नश्री स्वर्ण पदक गोरखा दक्षिण बाहु चौथा लोकप्रिया देवी पुरस्कार-२०४८ साझा पुरस्कार - २०५६ महाकवि देवकोटा पुरस्कार - २०७३ |
कविता सङ्ग्रह
- एउटा जिउँदो जङ्गबहादुर
- जीवन: थामहरू - २०३४
- शब्दातीत शान्तनु - २०५६
उपन्यास
- कारागार - २०३५[1]
- निर्बन्ध - २०४४
आत्मकथा
- मेरो आविष्कार - २०४१
सन्दर्भ सामग्रीअन
- "कारागार". madanpuraskar.org. Retrieved 2018-04-1५. Check date values in:
|accessdate=
(help)
This article is issued from Wikipedia. The text is licensed under Creative Commons - Attribution - Sharealike. Additional terms may apply for the media files.